Best Motivational Story In Hindi
Best Short Motivational Story In Hindi
चिड़िया और शैतान आदमी की कहानी
Story of a Sparrow and Demon Man
Every day a bird used to collect straws to make its nest and the evil man used to break that bird's nest every day. This continued for many months but the bird did not stop building the nest the evil man finally got tired and stopped breaking the bird's nest and then within a few days the bird laid eggs in its nest. Out of which lovely baby birds came out.
Seeing those cute little children, the man also became very happy, started taking care of them, and started feeding them. One day he asked the bird I used to break your nest every day but why did you not stop doing your work, then the bird said Brother, you were doing your work and I was doing mine.
सफलता के लिए भोजन, प्रोटीन और विटामिंस पढ़िए
वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि सुग्रीव जब माता सीता की खोज में वानर वीरों को पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं में भेज रहे थे, तब उन्हें यह भी बता रहे थे कि तुम्हें कहां क्या दिखाई देगा, कौन सा देश मिलेगा, कैसे पहाड़ और वनस्पति मिलेंगे। कहां जाना चाहिए और कहां नहीं जाना चाहिए।
प्रभु श्रीराम सुग्रीव का ये भगौलिक ज्ञान देखकर हतप्रभ थे। उन्होंने सुग्रीव से पूछा कि सुग्रीव तुमको ये सब कैसे पता। तो सुग्रीव ने उनसे कहा कि, जब बाली से अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए भयभीत होकर में भाग रहा था। यहां वहां छुपने के लिए एक सुरक्षित स्थान की तलाश कर रहा था। इस प्रक्रिया में मैंने पूरी पृथ्वी का भ्रमण कर लिया था। इसके कारण मुझे पृथ्वी के भूगोल का पूरा ज्ञान है।
जरा सोचिए, यदि बाली और सुग्रीव में युद्ध ना हुआ होता। यदि सुग्रीव की पराजय ना होती, यदि वह अपने प्राणों की रक्षा के लिए मैदान छोड़कर भागते नहीं, तो क्या उन्हें पृथ्वी के भूगोल का ज्ञान हो पाता और यदि सुग्रीव का भूगोल का ज्ञान ना होता तो माता सीता का पता लगाना कितना मुश्किल होता।
इसीलिए किसी ने कहा है कि सफलता के लिए यह तीनों अनिवार्य हैं-अनुकूलता भोजन है, प्रतिकूलता विटामिन और चुनौतियां प्रोटीन है।
Read Food, Protein, and Vitamins for Success
It is described in Valmiki Ramayana that when Sugriva was sending the monkey warriors to different directions of the earth in search of Mother Sita, he was also telling them where they would see what, which country they would find, what kind of mountains and vegetation will be there. Will meet. Where to go and where not to go.
Lord Shri Ram was astonished to see this geographical knowledge of Sugriva. He asked Sugriva, Sugriva, how do you know all this? So Sugriva told him that when he was running away in fear from Bali to save his life. I was looking for a safe place to hide here and there. In this process, I traveled around the entire earth. Because of this, I have complete knowledge of the geography of the earth.
Just imagine, if there had been no war between Bali and Sugriva. If Sugriva had not been defeated, if he had not run away from the field to save his life, would he have been able to know the geography of the earth if Sugriva had not known about geography then how difficult it would have been to locate Mother Sita.
That is why someone has said that these three are essential for success-Favorability is food, adversity is vitamins and challenges are protein.
मेंढकों की टोली
एक मेंढकों की टोली जंगल के रास्ते से जा रही थी. अचानक दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गये. जब दूसरे मेंढकों ने देखा कि गढ्ढा बहुत गहरा है तो ऊपर खड़े सभी मेढक चिल्लाने लगे ‘तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते, गढ्ढा बहुत गहरा है, तुम दोनों इसमें से निकलने की उम्मीद छोड़ दो.
उन दोनों मेढकों ने शायद ऊपर खड़े मेंढकों की बात नहीं सुनी और गड्ढे से निकलने की लिए लगातार वो उछलते रहे. बाहर खड़े मेंढक लगातार कहते रहे ‘ तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो, तुम्हें हार मान लेनी चाहियें, तुम दोनों को हार मान लेनी चाहियें. तुम नहीं निकल सकते.
गड्ढे में गिरे दोनों मेढकों में से एक मेंढक ने ऊपर खड़े मेंढकों की बात सुन ली, और उछलना छोड़ कर वो निराश होकर एक कोने में बैठ गया. दूसरे मेंढक ने प्रयास जारी रखा, वो उछलता रहा जितना वो उछल सकता था.
बहार खड़े सभी मेंढक लगातार कह रहे थे कि तुम्हें हार मान लेनी चाहियें पर वो मेंढक शायद उनकी बात नहीं सुन पा रहा था और उछलता रहा और काफी कोशिशों के बाद वो बाहर आ गया. दूसरे मेंढकों ने कहा ‘क्या तुमने हमारी बात नहीं सुनी.
उस मेंढक ने इशारा करके बताया की वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वो बेहरा है सुन नहीं सकता, इसलिए वो किसी की भी बात नहीं सुन पाया. वो तो यह सोच रहा था कि सभी उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं.
Group of Frog
A group of frogs was going through the forest. Suddenly two frogs fell into a deep pit. When the other frogs saw that the pit was very deep, all the frogs standing above started shouting, 'Both of you cannot get out of this pit, the pit is very deep, and both of you give up hope of getting out of it.
Those two frogs probably did not listen to the frogs standing above and they kept jumping continuously to get out of the pit. The frogs standing outside kept saying, 'Both of you are working in vain, you should accept defeat, both of you should accept defeat. You can't leave.
One of the two frogs that fell into the pit heard the words of the frogs standing above stopped jumping and sat in a corner in disappointment. The other frog continued his efforts, jumping as high as he could.
All the frogs standing outside were continuously saying that they should give up, but that frog probably was not able to listen to them and kept jumping and after a lot of effort, he came out. The other frogs said, 'Didn't you listen to us?
The frog pointed and said that he could not listen to them because he was deaf and could not hear, hence he could not listen to anyone. He was thinking that everyone was cheering him on.
चील और मुर्गी
एक जंगल में बरगद का पेड़ था. उस पेड़ के ऊपर एक चील घोंसला बनाकर रहती थी जहाँ उसने अंडे दे रखे थे. उसी पेड़ के नीचे एक जंगली मुर्गी ने भी अंडे दे रखें थे. एक दिन उस चील के अंडों में से एक अंडा नीचे गिरा और मुर्गी के अंडों में जाकर मिल गया.
समय बीता अंडा फूटा और चील का बच्चा उस अंडे से निकला और वह यह सोचते बड़ा हुआ की वो एक मुर्गी है. वो मुर्गी के बांकी बच्चों के साथ बड़ा हुआ. वह उन्ही कामों को करता जिन्हें एक मुर्गी करती है. वो मुर्गी की तरह ही कुड़कुड़ाता, जमीन खोद कर दाने चुगता और वो इतना ही ऊँचा उड़ पाता जितना की एक मुर्गी उड़ती है.
एक दिन उसने आसमान में एक चील को देखा जो बड़ी शान से उड़ रही थी. उसने अपनी मुर्गी माँ से पूछा की उस चिड़िया का क्या नाम है जो इतना ऊँचा बड़ी शान से उड़ रही है. मुर्गी ने जबाब दिया वह एक चील है. फिर चील के बच्चे ने पूछा माँ मैं इतना ऊँचा क्यों नहीं उड़ पाता। मुर्गी बोली तुम इतना ऊँचा नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम एक मुर्गे हो. उसने मुर्गी की बात मान ली और मुर्गे की जिंदगी जीता हुआ एक दिन मर गया.
The Eagle and Hen
There was a banyan tree in a forest. An eagle lived with a nest on top of that tree where it had laid eggs. A wild hen had also laid eggs under the same tree. One day one of the eagle's eggs fell and got mixed with the hen's eggs.
Time passed, the egg cracked and a baby eagle came out of the egg and he grew up thinking that he was a hen. He grew up with the other chickens. He does the same things that a hen does. He would cluck like a hen, dig in the ground, and peck at grains and he could fly as high as a hen can.
One day he saw an eagle in the sky which was flying with great pride. He asked his mother hen what was the name of that bird which was flying so high and proudly. The hen replied that it was an eagle. Then the eagle child asked my mother why I couldn't fly so high. The hen said, "You can't fly that high because you are a chicken." He accepted the hen's advice and one day he died while living the life of a hen.
चमकीले नीले पत्थर की कीमत
एक शहर में बहुत ही ज्ञानी प्रतापी साधु महाराज आये हुए थे, बहुत से दीन दुखी, परेशान लोग उनके पास उनकी कृपा दृष्टि पाने हेतु आने लगे. ऐसा ही एक दीन दुखी, गरीब आदमी उनके पास आया और साधु महाराज से बोला ‘ महाराज में बहुत ही गरीब हूँ, मेरे ऊपर कर्जा भी है, मैं बहुत ही परेशान हूँ। मुझ पर कुछ उपकार करें’.
साधु महाराज ने उसको एक चमकीला नीले रंग का पत्थर दिया, और कहा ‘कि यह कीमती पत्थर है, जाओ जितनी कीमत लगवा सको लगवा लो। वो आदमी वहां से चला गया और उसे बचने के इरादे से अपने जान पहचान वाले एक फल विक्रेता के पास गया और उस पत्थर को दिखाकर उसकी कीमत जाननी चाही।
फल विक्रेता बोला ‘मुझे लगता है ये नीला शीशा है, महात्मा ने तुम्हें ऐसे ही दे दिया है, हाँ यह सुन्दर और चमकदार दिखता है, तुम मुझे दे दो, इसके मैं तुम्हें 1000 रुपए दे दूंगा।
वो आदमी निराश होकर अपने एक अन्य जान पहचान वाले के पास गया जो की एक बर्तनों का व्यापारी था. उनसे उस व्यापारी को भी वो पत्थर दिखाया और उसे बचने के लिए उसकी कीमत जाननी चाही। बर्तनो का व्यापारी बोला ‘यह पत्थर कोई विशेष रत्न है में इसके तुम्हें 10,000 रुपए दे दूंगा. वह आदमी सोचने लगा की इसके कीमत और भी अधिक होगी और यह सोच वो वहां से चला आया.
उस आदमी ने इस पत्थर को अब एक सुनार को दिखाया, सुनार ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और बोला ये काफी कीमती है इसके मैं तुम्हें 1,00,000 रूपये दे दूंगा।
वो आदमी अब समझ गया था कि यह बहुत अमुल्य है, उसने सोचा क्यों न मैं इसे हीरे के व्यापारी को दिखाऊं, यह सोच वो शहर के सबसे बड़े हीरे के व्यापारी के पास गया।उस हीरे के व्यापारी ने जब वो पत्थर देखा तो देखता रह गया, चौकने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखने लगे. उसने उस पत्थर को माथे से लगाया और और पुछा तुम यह कहा से लाये हो. यह तो अमुल्य है. यदि मैं अपनी पूरी सम्पति बेच दूँ तो भी इसकी कीमत नहीं चुका सकता.
Price of Bright Blue Stone
A very knowledgeable and famous Sadhu Maharaj had come to a city, and many poor, sad, and distressed people started coming to him to seek his blessings. One such miserable, poor man came to him and said to Sadhu Maharaj, 'Maharaj, I am very poor, I have a debt, I am very distressed. Do me some favor'.
Sadhu Maharaj gave him a bright blue stone and said, 'This is a precious stone, go and get it for as much price as you can.' The man left the place and to save her, he went to a fruit seller he knew and showed him the stone and wanted to know its value.
The fruit seller said, 'I think this is blue glass, Mahatma has given it to you just like this, yes it looks beautiful and shiny, you give it to me, I will give you 1000 rupees for it.
Disappointed, the man went to another acquaintance of his who was a utensils merchant. He also showed the stone to the merchant and wanted to know its value to save himself. The pottery merchant said, 'This stone is a special gem, I will give you 10,000 rupees for it. The man started thinking that its price would be even higher and thinking this he left from there.
The man now showed this stone to a goldsmith, the goldsmith looked at the stone carefully and said that it was very valuable and I would give you Rs 1,00,000 for it.
The man now understood that it was very priceless, he thought why not show it to the diamond merchant, thinking this he went to the biggest diamond merchant in the city. When the diamond merchant saw the stone, he kept looking at it. Gai, shocked expressions started appearing on his face. He touched the stone to his forehead and asked where did you bring it from. This is priceless. Even if I sell my entire property I cannot pay its price.
एक आलसी आदमी
एक बार की बात है एक बहुत आलसी आदमी था, शारारिक रूप से स्वस्थ्य होने के बाद भी वो भिखारी की ज़िन्दगी गुजारता था। खाने पीने के लिए हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता था। एक दिन जब वह खाने के लिए कुछ खोज रहा था, तो उसने फल लगे पेड़ों को देखा।
चारों ओर देखने के बाद कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा, वो उस बगीचे के अंदर चला गया और देखा कि कोई भी उन पेड़ों की रखवाली नहीं कर रहा है तो उसने जल्दी से कुछ फल चुराने का फैसला किया।
लेकिन जैसे ही उसने पेड़ पर चढ़ना शुरू किया, किसान ने उसे देख लिया और उसे पकड़ने के लिए दौड़ कर आने लगा। जब आलसी आदमी ने डंडा लेकर उस किसान को अपने पास आते देखा, वह डर गया और छिपने के लिए पास के एक जंगल को ओर भाग गया।
जंगल में जैसे ही वो थोड़ा सा आगे बढ़ा उसने एक लोमड़ी को देखा जिसके केवल दो पैर थे और वो रेंग रही थी। आलसी आदमी ने सोचा, ऐसी हालत में यह लोमड़ी कैसे जिंदा रह सकती है ? लोमड़ी भाग नहीं सकती है, वह कैसे खुद के लिए खाना ढूंढने या अन्य जानवरों से अपनी रक्षा कर सकती है और कैसे जीवित रह सकती है।
तभी अचानक उसने देखा कि एक शेर अपने मुंह में एक मांस का टुकड़ा लिए लोमड़ी की ओर आ रहा है। सभी जानवर भाग गए और आलसी आदमी खुद को बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया।
लेकिन, लोमड़ी वहीं रुकी रही, उसके पास दो पैरों पर चलने की क्षमता नहीं थी। लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने आलसी आदमी को हैरान कर दिया। शेर लोमड़ी के पास आया और मांस का वो टुकड़ा उसने वहां छोड़ा, जो उसके मुंह में लोमड़ी के लिए था।
यह देखकर आलसी आदमी खुश हो गया। वो सोचने लगा कि भगवान जिन्होंने सभी को बनाया है, हमेशा उनके द्वारा बनाई गई चीजों की देखभाल के लिए एक योजना निर्धारित कर देते हैं। वो सोचने लगा कि भगवान ने उसके लिए भी कुछ योजना बनाई होगी।
जंगल से बाहर निकलकर वो एक जगह बैठ गया और इंतज़ार करने लगा की उसे कोई खाना खिलाने आएगा। उसका विश्वास था की उसके लिए भी ईश्वर किसी को भेजेगा जो खाना लाएगा।
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा, वह सड़क पर देखता रहा, अपने भोजन की प्रतीक्षा करता रहा। वो दो दिन तक भोजन के लिए इंतजार करता रहा ! अंत में, वह अपनी भूख को सहन नहीं कर सका और भोजन की तलाश में चल दिया।
रास्ते में उसे एक साधु महात्मा मिले। उसने साधु को पूरी घटना बताई । साधु ने उसे कुछ भोजन और पानी दिया। भोजन करने के बाद आलसी आदमी ने साधु से पूछा, “महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर अपनी दया दिखाई थी, लेकिन भगवान मेरे लिए इतना क्रूर क्यों हैं। भगवान ने मेरी मदद के लिए किसी को क्यों नहीं भेजा।”उसकी बात सुनकर साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सच है कि भगवान के पास सभी के लिए एक योजना है। आप स्पष्ट रूप से सबकुछ भगवान की योजना का एक हिस्सा हैं। लेकिन बेटा, तुमने उनकी बात को गलत तरीके से लिया। वह नहीं चाहते थे कि तुम लोमड़ी की तरह रहो। वह चाहता थे की तुम शेर की तरहबनो !”
A Lazy Man
Once upon a time, there was a very lazy man, despite being physically healthy, he used to live the life of a beggar. Always depended on others for food and drink. One day when he was looking for something to eat, he saw trees bearing fruits.
After looking around to see if anyone was watching, he went inside the garden and saw that no one was guarding those trees so he quickly decided to steal some fruits.
But as soon as he started climbing the tree, the farmer saw him and started running to catch him. When the lazy man saw the farmer approaching him with a stick, he got scared and ran to a nearby forest to hide.
As he moved a little further into the forest, he saw a fox that had only two legs and was crawling. The lazy man thought, how can this fox survive in such conditions? The fox cannot run away, how can it find food for itself or protect itself from other animals and survive?
Then suddenly he saw a lion coming towards the fox with a piece of meat in its mouth. All the animals ran away and the lazy man climbed the tree to save himself.
But, the fox remained there, he could not walk on two legs. But what happened next surprised the lazy man. The lion came to the fox and left the piece of meat which he had for the fox in his mouth.
Seeing this the lazy man became happy. He began to think that God, who created everyone, always had a plan in place to take care of the things He had created. He started thinking that God might have planned something for him too.
Coming out of the forest, he sat at a place and started waiting for someone to come to feed him. He believed that God would send someone who would bring food for him too.
But as time passed, he kept looking at the road, waiting for his meal. He waited for food for two days! Finally, he could not bear his hunger and went in search of food.
On the way, he met a sage, Mahatma. He told the entire incident to the monk. The monk gave him some food and water. After having the meal the lazy man asked the sage, “Maharaj, God had shown His mercy to that crippled fox, but why is God so cruel to me. Why didn't God send anyone to help me?"
Hearing him, the sage smiled and said, “It is true that God has a plan for everyone. You are a part of God's plan for everything. But son, you took what he said wrongly. He didn't want you to live like a fox. He wanted you to be like a lion!”
खाली प्रश्न पत्र
एक दिन एक अध्यापक कक्षा में आये और सभी विद्यार्थियों को एक सरप्राइज टेस्ट की तैयारी करने को कहा। अगले दिन सभी विधार्थी सरप्राइज टेस्ट शुरू करने के लिए क्लास में उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे थे। अध्यापक आये और सभी विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र दिया और शुरू करने के लिए कहा। जब सभी विधार्थियों ने प्रश्न पत्र देखा तो वो हैरान हो गए। पेज के बीचों बीच सिर्फ एक कला बिंदु था।
अध्यापक ने सभी के चेहरे पर इस अभिव्यक्ति को देखा और कहा, “मैं चाहता हूं कि आप जो कुछ भी वहां देखते हो उसे लिखो।” किसी भी छात्र को समझ नहीं आ रहा था कि वह इस अकथनीय प्रश्न पत्र को कैसे हल करे। जिस छात्र को जो समझ आया उसने लिखना शुरू किया ।
कक्षा के अंत में, अध्यपक ने सभी उत्तर पुस्तिकाओं को लिया और उनमें से प्रत्येक उत्तर को सभी छात्रों के सामने जोर से पढ़ना शुरू कर दिया। सभी ने उस काले बिंदु के बारे में समझाने की कोशिश की थी।
अध्यापक के सभी उत्तर पढ़ने के बाद , उन्होंने समझाना शुरू किया, “मैं इसमें आपको कोई नंबर नहीं दे रहा हूँ , मैं सिर्फ आपको आपके सोचने के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ। कागज के सफेद हिस्से के बारे में किसी ने नहीं लिखा। सभी ने ब्लैक डॉट पर ध्यान केंद्रित किया।
बच्चों हमारे जीवन में भी अक्सर ऐसा ही होता है। हमारा जीवन भी एक खाली पन्ना है जो आनंद और खुशियों से भरा है , लेकिन हम हमेशा अंधेरे स्थानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हमारा जीवन ‘प्रेम, ख़ुशी और देखभाल के साथ भगवान द्वारा हमें दिया गया एक अनमोल उपहार है। हमारे पास हमेशा जश्न मनाने के कारण उपलब्ध हैं, प्रकृति हर दिन खुद को नवीनीकृत करती है, हमारे चारों ओर हमारे दोस्त। हमें अपनी देखभाल और जीविका चलाने की शक्ति ईश्वर ने दी है, लेकिन हम केवल काले धब्बों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हैं।”
Blank Question Paper
One day a teacher came to the class and asked all the students to prepare for a surprise test. The next day all the students were anxiously waiting in the class to start the surprise test. The teacher came and gave question papers to all the students and asked them to start. When all the students saw the question paper, they were surprised. There was just a dot of art in the middle of the page.
The teacher saw this expression on everyone's faces and said, “I want you to write down whatever you see there.” No student could understand how to solve this inexplicable question paper. The student who understood started writing.
At the end of the class, the teacher took all the answer sheets and started reading each of the answers out loud to all the students. Everyone tried to explain about that black dot.
After the teacher read all the answers, he started to explain, “I'm not giving you any marks on this, I just want to tell you something about your thinking. No one wrote about the white part of the paper. Everyone focused on the black dot.
Children, this often happens in our lives too. Our life is also a blank page that is full of joy and happiness, but we always focus on the dark places. Our life is a precious gift given to us by God with love, happiness, and care. We always have reasons to celebrate, nature renews itself every day, and our friends are all around us. “God has given us the power to take care of ourselves and make a living, but we insist on focusing only on the dark spots.”
सनकी बूढ़ा आदमी
एक गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। पूरा गाँव उसे पसंद नहीं करता था कारण, वह हमेशा उदास रहता था, वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा बुरे मूड में रहता था। सभी लोग उसे सनकी कहते थे।
लोग उससे बचने की पूरी कोशिश करते थे क्योंकि वह जितना बूढ़ा होता जा रहा था, उतना ही अधिक उदास, चिड़चिड़ा और कठोर बोलने वाला होता जा रहा था। उसका व्यवहार बहुत ख़राब था। वह किसी से भी खुश नहीं होता था।
जब वह अस्सी साल का हो गया तो एक दिन एक अजीव घटना हुई ! जिस पर कोई विश्वास नहीं कर रहा था। पूरे गांव में यह बात फ़ैल गई की बूढ़ा आज खुश है, वह सभी से हंस कर बोल रहा है और किसी भी बात की शिकायत नहीं करता, मुस्कुराता है और यहां तक कि उसका चेहरा भी खिला खिला रहता है।
पूरा गाँव उस आदमी के पास पंहुचा और उससे पूछा, “क्या हुआ तुम्हें। तुम अचानक बदल कैसे गए ?”
बूढ़े आदमी ने जवाब दिया, बस कुछ खास नहीं। अस्सी साल तक मैं खुशी का पीछा कर रहा था मैं चीज़ो में ख़ुशी ढूढ़ता था, लेकिन वो सब बेकार था और फिर मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया और बस जीवन का आनंद लेना शुरू कर दिया। इसलिए मैं अब खुश हूं। ”
Crazy Old Man
An old man lived in a village. The whole village didn't like him because he was always sad, he complained constantly, and he was always in a bad mood. Everyone called him a freak.
People tried their best to avoid him because the older he grew, the more gloomy, irritable, and harsh-spoken he became. His behavior was very bad. He was not happy with anyone.
When he turned eighty years old, one day a strange incident happened. Which no one believed. The news spread throughout the village that the old man is happy today, he is laughing and talking to everyone and does not complain about anything, he smiles and even his face is cheerful.
The whole village reached the man and asked him, “What happened to you?” How did you change suddenly?”
The old man replied, "Nothing special." For eighty years I was chasing happiness. I used to look for happiness in things, but it was all useless and then I decided to live without happiness and just started enjoying life. So I am happy now. ,
For more inspirational quotes about success, click here.
Best Motivational Story In Hindi
आखिरी प्रयास
एक समय की बात है। एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था। एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार में दिया। राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया।
महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं। सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना। इसके लिए तुम्हें 50 स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी।” 50 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए। अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा। किंतु पत्थर जस का तस रहा। मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये, किंतु पत्थर नहीं टूटा।
पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा। वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है। इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती। महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था। इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया। पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया। पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया। इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और 50 स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता।
सीख
मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं। कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं। कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं। जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता। यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती। क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये।
Last Attempt
Once upon a time. A glorious king ruled a kingdom. One day a foreign invader came to his court and gifted a beautiful stone to the king. The king found the stone very attractive. He decided to make the statue of Lord Vishnu from that stone and install it in the temple of the state and established the work of making the statue in the temples of the state.
Basti went to the best sculptor in the village and said to the stone, “The Maharaja wants to install the idol of Lord Vishnu in the temple.” Prepare the idol of Lord Vishnu from this stone and send it to the palace within seven days. 50 gold coins will be given for this. The sculptors became happy after seeing the 50 gold coins and removed their tools to begin the construction work of the statue. He took a hammer from his tools and started hitting the stone to break it. The fodder stone remains as it is. The sculptor worked on many of the hammer's battle stones, not digging up the other stones.
After repeated attempts, the sculptor picked up the hammer to make one last attempt; Baisakhi withdrew his hand before hitting the hammer with the proposal that if the stone could not be broken by repeated blows, what would break it now? He passed by him carrying a stone and said that it was impossible to break this stone. Therefore the statue of Lord Vishnu cannot be made. The youth had to fulfill the king's orders in every situation. Therefore, he again gave the task of making the idol of Lord Vishnu to an ordinary sculptor of the village. The sculptor carrying the stone hit it with a hammer and the stone broke once. After breaking the stone the sculptor was destroyed while making the statue. The argument here was that if only the first sculptor had made one last attempt, he would have succeeded and been entitled to 50 gold coins.
learn
Friends, we also have two or four such situations in our life. Many times, before doing any work or facing any problem, our goal wavers and we try to give up without doing it. Many times, we give up further efforts after meeting unsuccessfully in one or two attempts. While some efforts and work may be completed or the problem may be solved. If success can be achieved in life, then even failure cannot be tried again and again until success is achieved. Who knows, the effort that we give up on before attempting it may be our last effort and it will yield results that involve us.
शिकंजी का स्वाद
एक प्रोफ़ेसर क्लास ले रहे थे। क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे। उनके पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे। लेकिन उन छात्रों के बीच कक्षा में एक छात्र ऐसा भी था, जो चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था। प्रोफ़ेसर ने पहले ही दिन उस छात्र को नोटिस कर लिया, लेकिन कुछ नहीं बोले। लेकिन जब 4 – 5 दिन तक ऐसा ही चला, तो उन्होंने उस छात्र को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, “तुम हर समय उदास रहते हो। क्लास में अकेले और चुपचाप बैठे रहते हो। लेक्चर पर भी ध्यान नहीं देते। क्या बात है? कुछ परेशानी है क्या?”
“सर, वो…..” छात्र कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “….मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूँ। समझ नहीं आता क्या करूं?” प्रोफ़ेसर भले व्यक्ति थे। उन्होंने उस छात्र को शाम को अपने घर पर बुलवाया। शाम को जब छात्र प्रोफ़ेसर के घर पहुँचा, तो प्रोफ़ेसर ने उसे अंदर बुलाकर बैठाया। फिर स्वयं किचन में चले गये और शिकंजी बनाने लगे। उन्होंने जानबूझकर शिकंजी में ज्यादा नमक डाल दिया।
फिर किचन से बाहर आकर शिकंजी का गिलास छात्र को देकर कहा, “ये लो, शिकंजी पियो। ”छात्र ने गिलास हाथ में लेकर जैसे ही एक घूंट लिया, अधिक नमक के स्वाद के कारण उसका मुँह अजीब सा बन गया। यह देख प्रोफ़ेसर ने पूछा, “क्या हुआ? शिकंजी पसंद नहीं आई?” “नहीं सर, ऐसी बात नहीं है। बस शिकंजी में नमक थोड़ा ज्यादा है। ” छात्र बोला। “अरे, अब तो ये बेकार हो गया। लाओ गिलास मुझे दो। मैं इसे फेंक देता हूँ। ” प्रोफ़ेसर ने छात्र से गिलास लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। लेकिन छात्र ने मना करते हुए कहा, “नहीं सर, बस नमक ही तो ज्यादा है। थोड़ी चीनी और मिलायेंगे, तो स्वाद ठीक हो जायेगा।” यह बात सुन प्रोफ़ेसर गंभीर हो गए और बोले, “सही कहा तुमने। अब इसे समझ भी जाओ। ये शिकंजी तुम्हारी जिंदगी है। इसमें घुला अधिक नमक तुम्हारे अतीत के बुरे अनुभव हैं। जैसे नमक को शिकंजी से बाहर नहीं निकाल सकते, वैसे ही उन बुरे अनुभवों को भी जीवन से अलग नहीं कर सकते। वे बुरे अनुभव भी जीवन का हिस्सा ही हैं. लेकिन जिस तरह हम चीनी घोलकर शिकंजी का स्वाद बदल सकते हैं, वैसे ही बुरे अनुभवों को भूलने के लिए जीवन में मिठास तो घोलनी पड़ेगी ना. इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अब अपने जीवन में मिठास घोलो।” प्रोफ़ेसर की बात छात्र समझ गया और उसने निश्चय किया कि अब वह बीती बातों से परेशान नहीं होगा।
सीख
जीवन में अक्सर हम अतीत की बुरी यादों और अनुभवों को याद कर दु:खी होते रहते हैं। इस तरह हम अपने वर्तमान पर ध्यान नहीं दे पाते और कहीं न कहीं अपना भविष्य बिगाड़ लेते हैं। जो हो चुका, उसे सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन कम से कम उसे भुलाया तो जा सकता है और उन्हें भुलाने के लिए नई मीठी यादें हमें आज बनानी होंगी। जीवन में मीठे और ख़ुशनुमा लम्हों को लाइये, तभी तो जीवन में मिठास आयेगी.
Taste of Shikanji
A professor was taking a class. All the students in the class were listening to his lecture with great interest. Were answered the questions asked by him. But among those students, there was one student in the class who was sitting quietly and silent. The professor took notice of the student on the very first day but did not say anything. But when this continued for 4-5 days, he called the student to his cabin after class and asked, “You are sad all the time. You sit alone and silently in class. Don't even pay attention to the lecture. What is the matter? Is there some problem?”
“Sir, that….” the student said hesitatingly, “…something has happened in my past, due to which I remain troubled. I don't understand what to do?" The professor was a nice person. He called that student to his house in the evening. When the student reached the professor's house in the evening, the professor called him inside and made him sit. Then he went to the kitchen and started making shikanji. He deliberately added more salt to Shikanji.
Then he came out of the kitchen gave a glass of shikanji to the student and said, “Take this, drink shikanji.” As soon as the student took the glass in his hand and took a sip, his mouth became strange due to the taste of excess salt. Seeing this the professor asked, “What happened? Didn’t like Shikanji?” “No sir, it is not like that. There is just a little too much salt in Shikanji. " said the student. “Hey, now it has become useless. Bring me the glass. I throw it away. ” The professor extended his hand to take the glass from the student. But the student refused and said, “No sir, there is just too much salt.” If you add a little more sugar, the taste will improve.” Hearing this, the professor became serious and said, “You are right.” Now understand this also. This screw is your life. The added salt added to this is the bad experiences of your past. Just as salt cannot be taken out of a mortar, similarly those bad experiences cannot be separated from life. Those bad experiences are also a part of life. But just as we can change the taste of shikanji by adding sugar, similarly to forget bad experiences we will have to add sweetness to life. So I want you to add sweetness to your life now.” The student understood what the professor said and decided that now he would not be troubled by the past.
learning
In life, we often feel sad by remembering bad memories and experiences of the past. In this way, we are unable to pay attention to our present and somehow spoil our future. What has happened cannot be rectified. But at least they can be forgotten and to forget them we will have to create new sweet memories today. Bring sweet and happy moments in life, only then will there be sweetness in life.
शार्क और चारा मछलियाँ
अपने शोध के दौरान एक समुद्री जीवविज्ञानी ने पानी से भरे एक बड़े टैंक में शार्क को डाला. कुछ देर बाद उसने उसमें कुछ चारा मछलियाँ डाल दी। चारा मछलियों को देखते ही शार्क तुरंत तैरकर उनकी ओर गई और उन पर हमला कर उन्हें खा लिया। समुद्री जीवविज्ञानी ने कुछ और चारा मछलियाँ टैंक में डालीं और वे भी तुरंत शार्क का आहार बन गईं। अब समुद्री जीवविज्ञानी ने एक कांच का मजबूत पारदर्शी टुकड़ा उस टैंक के बीचों-बीच डाल दिया। अब टैंक दो भागों में बंट चुका था। एक भाग में शार्क थी। दूसरे भाग में उसने कुछ चारा मछली डाल दीं। विभाजक पारदर्शी कांच से शार्क चारा मछलियों को देख सकती थी। चारा मछलियों के देख शार्क फिर से उन पर हमला करने के लिए उस ओर तैरी। लेकिन कांच के विभाजक टुकड़े से टकरा कर रह गई। उसने फिर से कोशिश की। लेकिन कांच के टुकड़े के कारण वह चारा मछलियों तक नहीं पहुँच सकी।
शार्क ने दर्जनों बार पूरी आक्रामकता के साथ चारा मछलियों पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन बीच में कांच का टुकड़ा आ जाने के कारण वह असफल रही. कई दिनों तक शार्क उन कांच के विभाजक के पार जाने का प्रयास करती रही. लेकिन सफल न हो सकी. अंततः थक-हारकर उसने एक दिन हमला करना छोड़ दिया और टैंक के अपने भाग में रहने लगी। कुछ दिनों बाद समुद्री जीवविज्ञानी ने टैंक से वह कांच का विभाजक हटा दिया. लेकिन शार्क ने कभी उन चारा मछलियों पर हमला नहीं किया क्योंकि एक काल्पनिक विभाजक उसके दिमाग में बस चुका था और उसने सोच लिया था कि वह उसे पार नहीं कर सकती।
सीख
जीवन में असफ़लता का सामना करते-करते कई बार हम अंदर से टूट जाते हैं और हार मान लेते हैं। हम सोच लेते हैं कि अब चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, सफ़लता हासिल करना नामुमकिन है और उसके बाद हम कभी कोशिश ही नहीं करते। जबकि सफ़लता प्राप्ति के लिए अनवरत प्रयास आवश्यक है। परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। इसलिये अतीत की असफ़लता को दिमाग पर हावी न होने दें और पूरी लगन से फिर मेहनत करें। सफलता आपके कदम चूमेगी।
Sharks and Bait Fishes
During his research, a marine biologist put a shark in a large tank filled with water. After some time he put some bait fish in it. As soon as the sharks saw the bait fishes, they immediately swam toward them, attacked them, and ate them. The marine biologist added some more bait fishes to the tank and they also immediately became food for the sharks. Now the marine biologist put a strong transparent piece of glass in the middle of the tank. Now the tank was divided into two parts. There was a shark in one part. In the second part, he put some bait fish. The dividing transparent glass allowed the sharks to see the bait fish. Seeing the bait fish, the shark swam towards them to attack them again. But it collided with the dividing piece of glass. He tried again. But because of the glass fragments, she could not reach the bait fish.
The shark tried to attack the bait fish dozens of times with full aggression. But it failed because a piece of glass came in between. For several days the shark kept trying to cross those glass dividers. But could not succeed. Finally, one day, after getting tired, she stopped attacking and started living in her part of the tank. After a few days, the marine biologist removed the glass separator from the tank. But the shark never attacked those bait fish because an imaginary divider had settled in its mind and it had thought that it could not cross it.
learning
Many times, when we face failure in life, we break down from within and give up. We think that no matter how hard we try, it is impossible to achieve success and after that, we never try. At the same time, continuous efforts are necessary to achieve success. Circumstances keep changing. Therefore, do not let past failures dominate your mind and work hard again with full dedication. Success will kiss your feet.
रेगिस्तान में फंसा हुआ आदमी
एक आदमी रेगिस्तान में फंस गया था
वह मन ही मन अपने आप को बोल रहा था कि यह कितनी अच्छी और सुंदर जगह है
अगर यहां पर पानी होता तो यहां पर कितने अच्छे-अच्छे पेड़ उग रहे होते
और यहां पर कितने लोग घूमने आना चाहते होंगे
मतलब ब्लेम कर रहा था
कि यह होता तो वो होता और वो होता तो शायद ऐसा होता
ऊपरवाला देख रहा था अब उस इंसान ने सोचा यहां पर पानी नहीं दिख रहा है
उसको थोड़ी देर आगे जाने के बाद उसको एक कुआं दिखाई दिया जो कि
पानी से लबालब भरा हुआ था काफी देर तक
विचार-विमर्श करता रहा खुद से
फिर बाद उसको वहां पर एक रस्सी और बाल्टी दिखाई दी इसके बाद कहीं से
एक पर्ची उड़ के आती है जिस पर्ची में लिखा हुआ था कि तुमने कहा था कि
यहां पर पानी का कोई स्त्रोत नहीं है अब तुम्हारे पास पानी का स्रोत भी है
अगर तुम चाहते हो तो यहां पर पौधे लगा सकते हो
वह चला गया दोस्तों
तो यह कहानी हमें क्या सिखाती है
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि
अगर आप परिस्थितियों को दोष देना चाहते हो कोई दिक्कत नहीं है
लेकिन आप परिस्थितियों को दोष देते हो कि अगर यहां पर ऐसा हो और
आपको वह सोर्सेस मिल जाए तो क्या परिस्थिति को बदल सकते हो
इस कहानी में तो यही लगता है कि कुछ लोग सिर्फ परिस्थिति को दोष देना जानते हैं
अगर उनके पास उपयुक्त स्रोत हो तो वह परिस्थिति को नहीं बदल सकते
सिर्फ वह ब्लेम करना जानते हैं लेकिन हमे ऐसा नहीं बनना है दोस्तों
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप चाहते हो कि
परिस्थितियां बदले और आपको अगर उसके लिए उपयुक्त साधन मिल जाए तो
आप अपना एक परसेंट योगदान तो दे ही सकते हैं और
मुझे पूरा भरोसा है कि अगर आपके साथ ऐसी कोई घटना घटित होती है
आप अपना योगदान जरूर देंगे
A Man Stranded in the Desert
He thought to himself, what a wonderful, beautiful place this is.
If there was water here, how many beautiful trees would grow here?
How many people are willing to visit here?
This means he is blaming
If this happens, then this happens, if this happens, then maybe this happens
The man above is watching, and now the man thinks there is no water in sight.
Walking a little further, you see a well.
filled with water for a long time
Keep discussing with yourself
Then he saw a rope and a bucket from somewhere
A piece of paper flew over and it was written on it that you said something like this
There is no water here, now you have water.
You can plant trees here if you want
He's gone, guys.
So what does this story tell us?
this story tells us
If you want to blame circumstances, fine
But if it happened here, you'd blame the environment
If you were given these resources, could you change that situation?
In this story, it seems like some people only know how to blame circumstances.
They can't change that if they have the proper sources
They only know how to blame, but we don’t have to, friends.
The moral of the story is if you want
If circumstances change and you find a suitable approach,
You can contribute 1% of the funds
I'm sure if this has happened to you
you will make a contribution
You might like this story if you like
If you are looking for such interesting stories, you have come to the right place.
कभी हार न मानना
हरीश नाम का एक लड़का था, उसे दौड़ने का बहुत शौक था।
उन्होंने कई मैराथन में हिस्सा लिया था
लेकिन उन्होंने कोई भी दौड़ पूरी नहीं की
एक दिन उसने निश्चय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह दौड़ अवश्य पूरी करेगा।
अब दौड़ शुरू होती है
हरीश भी धीरे-धीरे दौड़ने लगा
सभी धावक आगे बढ़ रहे थे
लेकिन अब हरीश थक गया था
वह रुक गया
फिर उसने खुद से कहा कि क्या मैं तब नहीं दौड़ सकता
कम से कम मैं चल तो सकता हूँ
उसने इसे धीरे-धीरे किया
चलने लगा लेकिन वह आगे जरूर बढ़ रहा था
अब वह बहुत थक गया था
और नीचे गिर गया
उसने खुद से कहा
कि चाहे कुछ भी कर ले, आज दौड़ जरूर पूरी करेगा।
वह हठपूर्वक वापस उठ गया
वह लड़खड़ाते हुए आगे बढ़े और अंततः दौड़ पूरी की।
स्वीकार किया कि वह रेस हार गये थे
लेकिन आज उनका विश्वास चरम पर था क्योंकि आज से पहले
कभी भी दौड़ पूरी नहीं कर पाया
वह जमीन पर पड़ा हुआ था
क्योंकि उनके पैरों की मांसपेशियों में बहुत खिंचाव था
लेकिन आज वह बहुत खुश था
क्योंकि
आज वह हार कर भी जीत गया
Never Give Up
There was a boy named Harish, he was very fond of running.
He had participated in many marathons
But he did not finish any race
One day he decided that no matter what happened, he would finish the race.
now the race starts
Harish also started running slowly
all the runners were moving ahead
But now Harish was tired
he stayed
Then he said to himself if I can't run then
at least I can walk
he did it slowly
Started walking but he was moving forward
Now he was very tired
and fell down
he told himself
That no matter what he does, he will finish the race today.
he stubbornly got back up
He staggered forward and eventually completed the race.
admitted that he had lost the race
But today his faith was at its peak because before today
was never able to complete the race
he was lying on the ground
Because the muscles in his legs were very strained
but today he was very happy
Because
Today he won even after losing
ईमानदारी का फल
काफी समय पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था वहाँ का राजा बहुत अच्छा था
मगर राजा को एक सुख नही था
वह यह कि उसके कोई भी संतान नही थी
और वह चाहता था कि अब वह राज्य के अंदर किसी योग्य बच्चे को गोद ले
ताकि वह उसका उत्तराधिकारी बन सके और आगे की बागडोर को सुचारू रूप से चला सके
और इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी
की सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाये
ऐसा ही हुआ
राजा ने सभी बच्चो को पौधे लगाने के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के बीज दिए
और कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा होगा
महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चा ऐसा था जिसके गमले में वह बीज अभी तक नही फूटा था
लेकिन वह रोज उसकी देखभाल करता था और रोज पौधे को पानी देता था
देखते ही देखते 3 महीने बीत गए
बच्चा परेशान हो गया
तभी उसकी माँ ने कहा कि बेटा धैर्य रखो कुछ बीजो को फलने में ज्यादा वक्त लगता है
और वह पौधे को सींचता रहा
6 महीने हो गए राजा के पास जाने का समय आ चुका था
लेकिन वह डर हुआ था कि सभी बच्चो के गमलो में तो पौधे होंगे और उसका गमला खाली होगा
लेकिन वह बच्चा ईमानदार था
और सारे बच्चे राजमहल में आ चुके थे
कुछ बच्चे जोश से भरे हुए थे
क्योंकि उनके अंदर राज्य का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल लालसा थी
अब राजा ने आदेश दिया सभी बच्चे अपने अपने गमले दिखाने लगे
मगर एक बच्चा सहमा हुआ था क्योंकि उसका गमला खाली था
तभी राजा की नजर उस गमले पर गयी
उसने पूछा तुम्हारा गमला तो खाली है
तो उसने कहा लेकिन मैंने इस गमले की 6 महीने तक देखभाल की है
राजा उसकी ईमानदारी से खुश था कि उसका गमला खाली है फिर भी वह हिम्मत करके यहाँ आ तो गया
सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उस बच्चे को सभी के सामने बुलाया बच्चा सहम गया
और राजा ने वह गमला सभी को दिखाया
सभी बच्चे जोर से हसने लगे
राजा ने कहा शांत हो जाइये
इतने खुश मत होइए
आप सभी के पास जो पौधे है वो सब बंजर है आप चाहे कितनी भी मेहनत कर ले उनसे कुछ नही निकलेगा
लेकिन असली बीज यही था
राजा उसकी ईमानदारी से बेहद खुश हुआ
और उस बच्चे को राज्य का उत्तराधिकारी बना दिया गया
Fruit of Honesty
A long time ago, there was a kingdom named Pratapgarh. The king there was very good.
But the king did not have any happiness
because he had no children
And he now wanted to adopt any eligible child within the state
So that he can become his successor and run the reins smoothly.
Seeing this the king announced in the state
that all the children gather in the palace
So did happen
The king gave different types of seeds to all the children to plant.
And said that now we will meet after 6 months and see whose plant will be the best
Even after a month had passed, there was one child in whose pot the seed had not yet sprouted.
But he took care of it every day and watered the plant every day.
3 months passed in no time
the child got upset
Then his mother said, Son, be patient, some seeds take more time to bear fruit.
And he kept watering the plant
6 months have passed and the time has come to go to the king
But he was afraid that all the children would have plants in their pots and his pot would be empty.
but that kid was honest
All the children had come to the palace
some children were full of enthusiasm
Because he had a strong desire to become the heir to the kingdom.
Now the king ordered all the children to show their pots.
But one child was scared because his pot was empty
Then the king's eyes fell on that pot.
He asked, is your pot empty?
So he said but I have taken care of this pot for 6 months
The king was happy with his honesty that his pot was empty, yet he gathered courage and came here.
After seeing the pots of all the children, the king called the child in front of everyone and the child was frightened.
The king showed that pot to everyone
all the children started laughing loudly
The king said calm down
don't be so happy
All the plants you have are barren, no matter how hard you try, nothing will come out of them.
but this was the real seed
The king was very pleased with his honesty
And that child was made the heir to the kingdom
एक व्यापारी और नांव वाला
एक बार एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन एक छोटे से गांव में जाता है। उसका मकसद होता है कि उस गांव में एक बड़ी सी फैक्ट्री लगानी है। वह एक ऐसी जगह पर पहुंच जाता है, जहां पर उसके सामने एक नदी होती है और उस नदी के सामने वह गांव होता है।
अब उसके सामने दो रास्ते हैं — पहला यह कि वह सड़क के रास्ते घूम कर उस गांव तक पहुंचे, जिसमें लगभग 10 घंटे लगेंगे क्योंकि वहां तक पहुंचने का कोई डायरेक्ट रास्ता नहीं है। दूसरा रास्ता यह था की वह एक नाव में बैठकर नदी के रास्ते उस गांव तक पहुंच जाए जिसमें केवल 20 मिनट ही लगते।
तो अपना टाइम बचाने के लिए उसने उस नाव के जरिए गांव तक पहुंचने का फैसला किया। वह नांव बहुत छोटी सी थी, जिसमें एक तरफ वह आदमी बैठा था जो नांव चला रहा था और दूसरी तरफ वह बिजनेसमैन बैठा था।
नांव मैं बैठने के थोड़ी देर बाद उस बिजनेसमैन ने नांव वाले से पूछा — “तुझे पता है तेरी नांव में कौन बैठा है? तो नांव वाले ने बड़े भोलेपन से कहा — “नहीं साहब मैं नहीं जानता। ”
तब बिजनेसमैन ने कहा — “अरे तू अखबार नहीं पड़ता है क्या? मेरी फोटो हर दूसरे-तीसरे दिन अखबार में छपती है।” तो नांव वाले ने कहा — “अरे साहब मुझे पढ़ना लिखना नहीं आता है। मैं बहुत छोटा सा था, जब मेरे पिताजी गुज़र गए थे औरअपने परिवार का ध्यान रखने के लिए मैं बचपन से ही काम में लग गया। इसलिए मेरा स्कूल बचपन में ही छूट गया था।”
यह सुनकर उस बिजनेसमैन ने नांव वाले का मजाक उड़ाते हुए कहा — “तुझे पढ़ना लिखना भी नहीं आता है। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।” यह सुनकर उस नांव वाले को बुरा तो लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
थोड़ी देर बाद वह बिजनेसमैन उस नांव वाले से बोला — “अभी कुछ दिन बाद, यह जो तू सामने जमीन देख रहा है ना, वहाँ मेरी एक बड़ी सी फैक्ट्री लगेगी जहां पर हम मिनरल वाटर की बॉटल्स बनाएंगे।
उस नांव वाले को बात समझ नहीं आई। उसने कहा किस चीज की फैक्ट्री? तो बिजनेसमैन ने बड़े इरिटेट होकर उससे कहा की — वहाँ पानी की बोतलें बनेंगी, जो तेरे गांव में नहीं बिकती लेकिन शहरों में बहुत बिकती है।
तब नांव वाले ने कहा — अरे साहब मुझे कहां पता होगा। मैने तो कभी इस गांव से बाहर निकला ही नहीं। फिर बिजनेसमैन ने उसके ऊपर हंसते हुए बोला — तू कभी इस गांव से बाहर तक नहीं गया। तुझे पता ही नहीं की शहर क्या होता है। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।
उसकी बात सुनकर नांव वाले को सच में यह लगने लगा कि उसकी जिंदगी किसी काम की नहीं है। यह सोचते हुए उसकी नांव पर से से ध्यान हटी और नांव की एक बड़े से पत्थर से टक्कर हो गई। जिसकी वजह से नांव में पानी भरने लगा और नांव डूबने लगा।
उस जगह पर पानी बहुत ही गहरा था और किनारा बहुत दूर था। नांव वाले को समझ आ गया कि अब इस नांव को बचाने का कोई तरीका नहीं है।
फिर वह अपनी जान बचाने के लिए नदी में छलांग लगाने ही वाला था, तभी उसने बिजनेसमैन ने पूछा — आपको तैरना तो आता है ना ? तो बिजनेसमैन ने घबराकर पूछा — ऐसा क्यों पूछ रहे हो? मुझे तैरना नहीं आता है।
उसकी यह बात सुनकर नांव वाले को हंसी आ गई और बोलै — साहब आपको तैरना तक नहीं आता। ऐसी जिंदगी का क्या फायदा।
यह सुनकर उस बिजनेसमैन को अपनी गलती का एहसास हुआऔर हाथ जोड़कर उसने नांव वाले से कहा — तुम जो मांगोगे मैं तुम्हें वह दूंगा, बस मेरी जान बचा लो। तो उस नांव वाले ने कहा — अरे साहब घबराओ नहीं। मुझे सिर्फ तैरना ही नहीं आता है, बल्कि डूबते हुए लोगों को बचाना भी आता है।
आप मुझे कसकर पकड़ लो। मैं आपको कुछ नहीं होने दूंगा और फिर उस नांव वाले ने न सिर्फ अपनी, बल्कि उस बिजनेसमैन की भी जान बचाई।
तो हमें इस कहानी से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है कि जिंदगी में कभी किसी की मजाक नहीं उड़ानी चाहिए या अपने से कम नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हमें नहीं पता की कब, कहाँ और कैसे किसकी जरूरत पड़ जाए।
A Businessman and a Boatman
Once a big businessman visits a small village. He aims to set up a big factory in that village. He reaches a place where there is a river in front of him and in front of that river is a village.
Now he has two options – the first is to travel by road to reach the village, which will take about 10 hours as there is no direct route to reach there. The other way was to board a boat and reach the village through the river, which would take only 20 minutes.
So to save his time he decided to reach the village through that boat. That boat was very small, on one side was the man who was rowing the boat, and on the other side was the businessman.
After some time of sitting in the boat, the businessman asked the boatman – “Do you know who is sitting in your boat? So the boatman said very innocently – “No sir, I don't know. ,
Then the businessman said – “Hey, don't you read the newspaper? My photo is published in the newspaper every second-third day.” So the boatman said – “Hey sir, I don't know how to read and write. My father passed away when I was very young and I started working since childhood to take care of my family. That's why I dropped out of school in my childhood."
Hearing this, the businessman mocked the boatman and said, “You don't even know how to read and write. What is the use of such a life? Hearing this, the boatman felt bad, but he did not say anything.
After some time, the businessman said to the boatman, “After a few days, on the land you see in front, I will set up a big factory where we will make mineral water bottles.
The man with that name did not understand. He said factory of what? So the businessman got very irritated and told him that water bottles would be made there, which are not sold in your village but are sold a lot in cities.
Then the boatman said – Hey sir, how would I know? I never came out of this village. Then the businessman laughed at him and said – You have never even gone out of this village. You don't even know what a city is. What is the use of such a life?
After listening to him, the boatman started feeling that his life was of no use. While thinking this, he lost his attention on the boat and the boat collided with a big stone. Due to this, the boat started filling with water and the boat started sinking.
The water at that place was very deep and the shore was very far. The boatman understood that now there was no way to save the boat.
Then he was about to jump into the river to save his life when the businessman asked – Do you know how to swim, right? So the businessman got nervous and asked – Why are you asking this? I don't know how to swim.
Hearing this, the boatman laughed and said - Sir, you don't even know how to swim. What is the use of such a life?
Hearing this, the businessman realized his mistake and with folded hands, he said to the boatman - I will give you whatever you ask for, just save my life. So the man with the name said – Hey sir, don't be afraid. I not only know how to swim but also know how to save people who are drowning.
You hold me tight. I will not let anything happen to you and then that boatman not only saved his life but also that businessman's life.
So we learn a big lesson from this story we should never make fun of anyone in life or consider ourselves less than ourselves because we do not know when, where, and how we may need someone.
एक छोटी बच्ची की कहानी
एक बार एक छोटी सी बच्ची हाथ में मिट्टी की गुल्लक लिए भागती हुई एक दवाई की दुकान पर गई। वह काफी देर तक वहां पर खड़ी रही,लेकिन दुकानदार का ध्यान उस पर नहीं गया क्योंकि वहां पर काफी भीड़ थी।
उसने दुकानदार को कई बार बुलाया लेकिन दुकानदार का ध्यान उस पर नहीं गया क्योंकि वहां पर भीड़ बहुत थी। फिर इस बच्ची को गुस्सा आयाऔर अपने मिट्टी की गुल्लक को वहीं काउंटर पर जोर से रख दिया।
इसके बाद दुकानदार और वहां पर खड़े सभी लोग उसे बच्ची की तरफ देखने लगे। दुकानदार ने उसे बच्ची से पूछा की बेटे आपको क्या चाहिए? तो वह बड़े ही भोलेपन से बोली — “मुझे एक चमत्कार चाहिए।”
यह सुनकर दुकानदार को कुछ समझ में नहीं आया और ना ही वहां पर खड़े लोगों को कुछ समझ में आया। सभी उसकी तरफ देखने लगे। फिर दुकानदार ने उससे कहा की बेटे चमत्कार तो यहां पर नहीं मिलता है। तो बच्ची को लगा कि वह उसे झूठ बोल रहा है।
उसने कहा कि मेरे गुल्लक में बहुत पैसे हैं। बताओ आपको कितने पैसे चाहिए। मैं आज यहां से चमत्कार लेकर ही जाऊंगी। तभी काउंटर पर खड़े एक आदमी ने उससे पूछा की बेटी क्यों चाहिए तुमको चमत्कार?
तब उसे बच्ची ने अपनी कहानी बताई — अभी कुछ दिन पहले मेरे भाई के सर में बहुत तेज दर्द हुआ। मेरे पापा-मम्मी उसको हॉस्पिटल ले गए। उसके बाद कई दिन तक मेरा भाई घर नहीं आया।
मैंने बहुत बार अपने पापा से पूछा लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बताया। वो बार-बार यही बोलते रहे कि वह कल आ जाएगा। लेकिन वह अभी तक घर नहीं आया है। तभी मैंने देखा की मम्मी रो रही थी और पापा उनसे कह रहे थे कि हमारे बेटे के इलाज और दवाइयों के लिए जितने पैसे चाहिए उतने पैसे मेरे पास नहीं है।
अब उसको कोई चमत्कार ही बचा सकता है। तब मुझे लगा कि मेरे पापा के पास अगर पैसे नहीं भी हैं तो क्या हुआ, मेरे पास तो है। इसलिए मैंने जितने भी पैसे जोड़ रखे थे वह सारे पैसे लेकर मैं इस दवाई की दुकान पर आई हूं ताकि चमत्कार खरीद सकूं।
फिर उस आदमी ने बच्ची से पूछा कि कितने पैसे हैं तुम्हारे पास? यह सुनते ही बच्ची ने गुल्लक उठाई और जमीन पर पटक कर उसे फोड़ दिया और पैसे गिनने लग गई। वहां पर खड़े सभी लोग उसे देख रहे थे।
थोड़ी देर बाद उसने सारे पैसे इकट्ठे किए और बोली — मेरे पास पूरे ₹19 हैं। वो जो आदमी वहां पर खड़ा था वह थोड़ा सा मुस्कुराया और बोला की — “अरे तुम्हारे पास तो पूरे पैसे हैं। इतने का ही तो आता है चमत्कार।” यह सुनकर वह बच्ची बहुत खुश हो गई और बोली चलो मैं आपको अपने पापा से मिलवाती हूं।
बाद में पता लगा कि वह आदमी कोई आम आदमी नहीं था। बल्कि एक बहुत बड़ा न्यूरो सर्जन था और उसने सिर्फ 19 रुपए में उसके भाई की सर्जरी कर दी। उसका भाई कुछ दिन बाद ठीक हो करके घर वापस आ गया।
फिर कुछ दिन बाद वह बच्ची, उसका भाई,उसके पापा और मम्मी चारों एक साथ बैठे हुए थे और बात कर रहे थे। तभी उसकी मम्मी ने उसके पापा से पूछा कि अब तो बता दो यह चमत्कार आपने किया कैसे। तब उन्होंने अपनी बेटी की तरफ देख कर कहा — चमत्कार मैं नहीं, इसने किया है।
तो यहां पर एक बहुत बड़ी सबक है, जो हम उस छोटी सी बच्ची से सीख सकते हैं। जिंदगी में कभी-कभी ऐसा होता है कि हमको कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा होता है और हम लोग हिम्मत हार जाते हैं। तब हमारे अंदर एक बच्चा होता है जो कोशिश करने से कभी पीछे नहीं हटता है। वह हार मानने को तैयार ही नहीं होता है क्योंकि उसको “ना” शब्द समझ नहीं आता है। वह बच्चा जिसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है कि क्योंकि वह हर हाल में कोशिश करता ही रहता है।
Story of a Little Girl
Once a little girl ran to a medicine shop with a clay piggy bank in her hand. She stood there for a long time, but the shopkeeper did not pay attention to her because there was a huge crowd there.
He called the shopkeeper several times but the shopkeeper did not pay attention to him because there were a lot of crowds there. Then this girl got angry and placed her clay piggy bank on the counter with force.
After this, the shopkeeper and everyone standing there started looking at the girl. The shopkeeper asked the girl, Son, what do you want? So she said very innocently – “I want a miracle.”
Hearing this, the shopkeeper did not understand anything, nor did the people standing there understand anything. Everyone started looking at him. Then the shopkeeper told him that son, miracles are not found here. So the girl felt that he was lying to her.
He said that I had a lot of money in my piggy bank. Tell me how much money you want. I will leave here today only with a miracle. Then a man standing at the counter asked him, “Daughter, why do you want a miracle?”
Then the girl told him her story – Just a few days ago my brother had a severe headache. My parents took him to the hospital. After that, my brother did not come home for several days.
I asked my father many times but he did not tell me anything. He kept saying again and again that he would come tomorrow. But he has not come home yet. Then I saw that mother was crying and father was telling her that I do not have the amount of money required for our son's treatment and medicines.
Now only a miracle can save him. Then I thought that even if my father does not have money, I have it. That's why I have come to this medicine shop with all the money I had saved so that I can buy the miracle.
Then the man asked the girl, how much money do you have? On hearing this, the girl picked up the piggy bank, threw it on the ground, broke it, and started counting the money. Everyone standing there was looking at him.
After some time she collected all the money and said – I have the entire ₹19. The man who was standing there smiled a little and said – “Hey, you have all the money. Miracles come only for this much.” Hearing this, the girl became very happy and said, let me introduce you to my father.
Later it was found out that the man was not a common man. He was a great neurosurgeon and he performed his brother's surgery for just Rs 19. His brother recovered after a few days and returned home.
Then a few days later, the girl, her brother, her father, and her mother were sitting together and talking. Then his mother asked his father, now tell me how you did this miracle. Then he looked at his daughter and said – It is not I who has done the miracle, it has been done by her.
So there is a great lesson here that we can learn from that little girl. Sometimes it happens in life that we cannot see any way out and we lose courage. Then there is a child inside us who never shies away from trying. He is not ready to accept defeat because he does not understand the word “no”. That child for whom nothing is impossible because he keeps trying in every situation.
For more inspirational quotes, click here.